मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं। मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं।
बचपन पूरा शहर में बीत गया पर सब कुछ धुंधला धुंधला सा है, गाँव जाना तो हमारा सिर्फ गर बचपन पूरा शहर में बीत गया पर सब कुछ धुंधला धुंधला सा है, गाँव जाना तो हमार...
मैं मांगू आसमां और रब से तुझे। तुम मेरी आंखों के अश्क की धारा हो। मैं मांगू आसमां और रब से तुझे। तुम मेरी आंखों के अश्क की धारा हो।
अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूँ अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूँ
प्रथ्वी अपनी अंक में लिए घूमती है मुझे। मां के आंचल में छिपा निर्मल हूं। प्रथ्वी अपनी अंक में लिए घूमती है मुझे। मां के आंचल में छिपा निर्मल हूं।
जिन्दगी में मुझे अब ऐसे शख्स कि तलाश नहीं। जिन्दगी में मुझे अब ऐसे शख्स कि तलाश नहीं।